ज्यादातर केंद्रों पर नही रहते रजिस्टर्ड रेडियोलॉजिस्ट स्वास्थ्य महकमे की सरपरस्ती में चल रहा गोरखधंधा

ज्यादातर केंद्रों पर नही रहते रजिस्टर्ड रेडियोलॉजिस्ट स्वास्थ्य महकमे की सरपरस्ती में चल रहा गोरखधंधा


अंबेडकर नगर,  l जिले में स्वास्थ्य महकमे की सरपरस्ती में पीएनडीटी एक्ट का खुला मजाक उड़ाया जा रहा है। शायद ही कोई ऐसा चिकित्सकीय संस्थान होगा जिस पर नियमानुसार इस एक्ट का अनुपालन होता दिखाई पड़ सकें। जिले में स्थापित अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच के नाम पर स्वास्थ्य महकमा केवल खानापूर्ति तक ही सीमित रहता है। बाहरी चिकित्सको के नाम पर अल्ट्रासाउंड का लाइसेंस प्राप्त कर लोग आम जनमानस को बेवकूफ बनाते फिर रहे हैं। लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे ऐसे अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर विभाग से कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा नहीं रह गई है। कारण कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही इनका खुलेआम संचालन किया जा रहा है। जिला मुख्यालय पर ही अल्ट्रासाउंड केंद्रों की भरमार है लेकिन ऐसे कितने अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर रेडियोलॉजिस्ट द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है यह महत्वपूर्ण है । नियमानुसार अल्ट्रासाउंड केंद्र पर रेडियोलॉजिस्ट का होना आवश्यक है और अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट के द्वारा ही किया जा सकता है लेकिन यहां सब कुछ इसके विपरीत किया जा रहा है। एक्ट के अनुसार अल्ट्रासाउंड केंद्र के बाहर एक ऐसा प्रोफार्मा लगा होना चाहिए जिस पर अल्ट्रासाउंड केंद्र पर कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट का नाम, उसकी योग्यता, अल्ट्रासाउंड केंद्र की वैधता के साथ-साथ रेडियोलॉजिस्ट की फोटो भी चस्पा होनी चाहिए। उसी प्रोफार्मा पर जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी का संपर्क नंबर भी दर्ज होना चाहिए जिससे आवश्यकता पड़ने पर कोई भी व्यक्ति इन अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर सके। अल्ट्रासाउंड केंद्र के बाहर चिपकाए गए प्रोफार्मा पर जिस चिकित्सक की फोटो होती है उसी चिकित्सक द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है लेकिन यहां सब कुछ हवा हवाई है । जिले में संभवत किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र के बाहर इस प्रकार का प्रोफार्मा देखने को नहीं मिल सकता । यही नहीं, रिसेप्शन पर पीएनडीटी एक्ट की बुकलेट भी होनी चाहिए लेकिन यह भी शायद ही किसी केंद्र पर मौजूद हो। मजे की बात यह है कि पीएनडीटी एक्ट का अध्यक्ष जिला अधिकारी होता है लेकिन जिलाधिकारी को भी इस गोरखधंधे की जानकारी नहीं दी जाती । लिहाजा जिले भर में पीएनडीटी एक्ट का दुरुपयोग किया जा रहा है । इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक कुमार से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर केंद्रों की जांच कराई जाती है लेकिन जब उनसे यह पूछा गया क्या किसी भी केंद्र पर प्रोफार्मा चश्मा पाया जाता है तो वह चुप्पी साध गये।