ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन के तत्वावधान में एसबीआई को छोड़ 10 बैंकों की 45 शाखाओं के कर्मचारी हड़ताल पर रहे

ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन के तत्वावधान में एसबीआई को छोड़ 10 बैंकों की 45 शाखाओं के कर्मचारी हड़ताल पर रहे


अंबेडकरनगर। निजीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर गुरुवार को ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन के तत्वावधान में एसबीआई को छोड़ 10 बैंकों की 45 शाखाओं के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। भारतीय जीवन बीमा निगम व पॉवर कॉरपोरेशन के कर्मचारी भी समर्थन में हड़ताल पर रहे। हक की आवाज बुलंद करते हुए कहा गया कि एक तरफ जहां कर्मचारी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं तो वहीं सरकार का ध्यान समस्याओं को दूर करने की बजाए निजीकरण पर है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र ही उनकी मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। उधर हड़ताल के चलते लगभग 90 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ। हड़ताल के चलते विभिन्न कार्यों से आने वाले उपभोक्ताओं को मायूस होकर लौटना पड़ा।गौरतलब है कि निजीकरण के विरोध में विभिन्न ट्रेड यूनियन ने गुरुवार को एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था। इसके तहत ही गुरुवार को ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन के तत्वावधान में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आंध्रा बैंक समेत 10 बैंकों की 45 शाखाओं के कर्मचारियों ने संबंधित बैंक के मुख्य गेट को बंद कर प्रदर्शन किया। एसोसिएशन अध्यक्ष आरएस उपाध्याय ने कहा कि कर्मचारी लंबे समय से विभिन्न प्रकार की मुश्किलों से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने की बजाए निजीकरण की तरफ सरकार का ध्यान है।
कहा कि निजीकरण होने से न सिर्फ कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी, बल्कि उत्पीड़न भी बढ़ेगा। एसोसिएशन से जुड़े मस्तराम पाण्डेय, सुचिता राय, अनुभूति शुक्ला, सुरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि किसी समस्या का समाधान निजीकरण नहीं बल्कि मुलभूत समस्या को जड़ से समाप्त करना है। सरकार समस्या को जड़ से समाप्त करने की बजाए पूंजीपतियों को लाभ दिलाने के लिए निजीकरण कर रही है।यह अत्यंत चिंताजनक है। कहा गया कि मजदूर व किसान विरोधी बिलों का उन्मूलन करने, प्रत्येक कर न देने वाले परिवार के खाते में 7500 रुपये का भुगतान किए जाने, जरूरतमंदों को 10 किग्रा खाद्यान्न प्रतिमाह दिए जाने, शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष 200 कार्य दिवस की मांग को मंजूर करने को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। इस प्रकार की उपेक्षा कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चेतावनी देते हुए कहा गया कि यदि शीघ्र ही उनकी मागों का निस्तारण नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। इस बीच समर्थन में पॉवर कॉरपोरेशन व भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे।
हड़ताल के चलते विभिन्न कार्यों से बैंकों में पहुंचे उपभोक्ताओं को मायूस होकर लौटना पड़ा। दरअसल बेंकों में हड़ताल होने की जानकारी तमाम उपभोक्ताओं को नहीं थी। नतीजा यह हुआ कि धन निकासी व जमा करने के लिए बैंक पहुंचने वाले उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। काम हुए बगैर ही ऐसे तमाम उपभोक्ता घरों को वापस लौटने को विवश हुए। बैंक ऑफ बड़ौदा की अकबरपुर शाखा में मिले उपभोक्ता सर्वेश, रवि व सुधाकर ने कहा कि हड़ताल की जानकारी नहीं थी।
जरूरी कार्य के लिए धन निकासी करने आए थे। अभी तक एटीएम कार्ड नहीं बना है, इससे पैसा नहीं निकल पाया। पीएनबी शाखा के बाहर मिले पेंशनर रामबहाल ने कहा कि मैं आज अपने पौत्र के साथ पेंशन की राशि निकालने आया था। अब बैंक में हड़ताल होने के चलते निराश होकर वापस जाना पड़ रहा है। यूनियन बैंक के बाहर मौजूद सावित्री ने कहा कि मुझे अपने एक रिश्तेदार की मदद करने के लिए उसके खाते में पैसा जमा करना था। यह काम हड़ताल के चलते नहीं हो पाया है। इन उपभोक्ताओं की तरह ही अलग अलग बैंकों में पहुंचे अन्य उपभोक्ताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।ट्रेड यूनियन के आह्वान पर गुरुवार को 10 बैंकों की 45 शाखाओं के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इससे विभिन्न प्रकार का कार्य पूरी तरह प्रभावित हुआ। हड़ताल के चलते करीब 90 करोड़ रुपये का कार्य प्रभावित हुआ_साभार